Saturday 28 December 2019

नागरिकता कानून,मोदी की धनुष से देशहित में निकला तीर है,वापस नहीं होगा

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क्या नाम है तुम्हारा ? उसने थोड़ा रूककर कहा "ममता" मैंने आगे बिना उससे कुछ पूछे कहा कल से खाना बनाने आ जाना, वो अगले 10,15 दिनों तक आती रही,पुरे काम के दौरान ममता एक आध शब्द बोलती थी,आने के बाद भैया क्या बनाना है और बनने के बाद भैया मैं जा रही हूँ |एक दिन उसने कहा भैया मैं दो तीन दिन तक नहीं आ पाऊँगी | उस वक्त शायद ईद थी ,मुझे इस बात का जरा भी इल्म नहीं हुआ कि ममता ईद मनाती होगी | वैसे मुझे ईद,बकरीद,दिवाली या क्रिसमस से कोई समस्या नहीं थी लेकिन ममता का इस वक्त छुट्टी लेना मुझे थोड़ा खटका | वो जब लौट कर आई तो मैंने थोड़ी सख्ती से उससे पूछा तुम्हारा नाम क्या है ? उसने नजर नीचे करते हुए कहा बताया तो भैया ममता,अच्छा ठीक है एक काम करो घर जाओ और कोई पहचान पत्र वगैरह लेकर आओ | ममता या मेहरुनिसा या जो भी उसका नाम हो लौटकर नहीं आई | बाद में पता चला कि वो जहाँ रहती थी वो अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का ठिकाना था जिसपर पुलिस ने दबिश दी थी |
चलिए अब इस मुद्दे को आगे बढ़ाते हैं


2014 से एक समुदाय डरा हुआ महसूस कर रहा और उस डर को हवा कांग्रेस की अगुवाई में वो पार्टियां दे रहीं जिन्हें खुद अपने अस्तित्व खोने का डर है | हालात कुछ यूँ थे कि रात के अँधेरे में गर किसी ने एक पत्थर भी फेंका तो इन्हें लगता था कि देश की कानून व्यवस्था ठीक नहीं है | इन्हें सपने में भी लोकतंत्र और संविधान खतरे में नजर आता था | यह सिलसिला मई 2019 तक बदस्तूर जारी रहा,डरने वालों ने जी भर कर सरकार को कोसा,विरोध प्रदर्शन,यानि जितनी इनके बस में थी वो सब किया ताकि जनता डरकर 2019 में इन्हें स्वीकार न करे नतीजा आया तो जनता ने डरने वालों को और डरा दिया अब क्या किया जाय ?
                                                           जिन्होंने सरकार को वोट और जिसने नहीं दिया उसे भाजपा का एजेंडा अच्छी तरह पता था कि,राम मंदिर,धारा 370,समान नागरिक संहिता,तीन तलाक,नागरिकता कानून और एनआरसी इस सरकार के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल हैं और एक प्रचंड बहुमत ने डर के अफवाह को दरकिनार कर हस्तिनापुर का सिंहासन मोदी जी को सौंप दिया |
                                               राम मंदिर का मुद्दा कोर्ट ने सुलझाया,370 के मायाजाल को सरकार की मजबूती ने एक झटके में तोड़ सुविधापरस्त,मौकापरस्त और पाकपरस्त लोगों के हाथ से तोते उड़ा दिए | यानि नेहरू के लम्हों की खता को सदियों ने झेला और इस सरकार ने उससे निजात दिलाई | स्वाभाविक रूप से अब नागरिकता बिल (अब कानून ) का ही नंबर था और इसपर जो विरोध हो रहा है वो बहुत अप्रत्याशित नहीं है | सड़कों पर गाँधी की फोटो लिए,बसों,कारों में आग लगाते,पुलिस वालों को निशाना बनाते लोग जिन्हें मोदी सरकार का अंधविरोध करने वाली ताकतें हवा दे रही हैं | जरा फर्ज कीजिये अगर ये फैसला सरकार का न होकर कोर्ट का होता तो क्या होता ?  यकीन मानिये जिन्होंने अबतक हजारों करोड़ की सरकारी संपत्ति का नुकसान किया है उन्होंने इस कानून का एक पैराग्राफ भी नहीं पढ़ा होगा | जिसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि जो इस देश के वैध नागरिक हैं चाहे वो किसी भी जाति,धर्म के हों उन्हें डरने या चिंतित होने की कोई जरुरत नहीं है | इस कानून में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि
-----पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल पाएगी. नागरिकता हासिल करने के लिए उन्हें यहां कम से कम 6 साल बिताने होंगे. पहले नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल बिताने का पैमाना तय था.
-----पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था. वे सभी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे.
----- ओसीआई कार्ड धारक यदि नियमों का उल्लंघन करते हैं तो केंद्र के पास उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार होगा. बता दें कि ओसीआई कार्ड स्थायी रूप से विदेश में बसे भारतीयों को दिए जाने वाला कार्ड है | इस कानून में केवल मुस्लिम समुदाय को बाहर रखने पर जो हाय तौबा और हंगामा मचा रहे वो दरअसल अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं जो मुसलमानों को अपना वोट बैंक समझते हैं | मुल्क बर्बाद हो जाय लेकिन इनका वोट बैंक सही सलामत रहना चाहिए |
                  कुछ साल पहले ब्रिटिश संसद के सदस्य लार्ड मेघनाद देसाई ने कहा था कि जब हम अगले पचीस साल में भारत और चीन को देखेंगे तो चीन,अमेरिका को पछाड़कर एक विश्व शक्ति बन चुका होगा और भारत एक विशाल लोकतंत्र | देसाई का यह कथन हमारे मुल्क के लिजलिजेपन और सिर्फ दम्भी लोकतंत्र का दम भरने पर एक व्यंग्य के साथ साथ चेतावनी भी थी | एक मजबूत मुल्क बनने के लिए मजबुत और कठोर फैसले लेने पड़ते हैं और यह काम हर सरकार अपनी अपनी सोच,दूरदर्शिता और विचारधारा के हिसाब से करती है | नागरिकता कानून उसी मजबूती और विचारधारा की एक अगली मजबूत कड़ी है |
                                                     देश में सबसे ज्यादा अवैध अप्रवासी बंगाल में रह रहे जो पहले कम्युनिस्टों के वोट बैंक थे,और एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के करीब 82 % अवैध अप्रवासी बंगाल में रह रहे हैं उसके बाद,त्रिपुरा और असम का नंबर आता है | बंगाल में ममता बनर्जी द्वारा इस कानून का किया जा रहा विरोध,न तो व्यक्तिवाद से जुड़ा है,न मानवतावाद न यह शुद्ध रूप से वोट बैंकवाद से जुड़ा है | जिसे ममता अपनी जागीर समझती हैं | यही हाल देश की अन्य विपक्षी पार्टियों का है | जो इस कानून के विरोध में अपनी खोई हुई जमीन पाने की कोशिश कर रहे |
                     एक डर और दुष्प्रचार की मोदी सरकार देश की गंगा जामुनी संस्कृति को मिटाने पर तुली है,बहुसंख्यक,अल्पसंख्यक पर भारी पड़ जाएंगे | तो जरा गजवा ए हिन्द का इतिहास और हिंदुओं का इतिहास देख लें | कभी भी हिन्दुओं ने किसी धर्म को दबाने या उसके प्रचार प्रसार को रोकने की कोशिश नहीं की जबकि इस्लाम के उदय के बाद और खासकर दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद औरंगजेब के समय तक जब तक शासक और शासित के धर्म अलग-अलग थे,उनकी संस्कृति,बोली,वेश भूषा अलग अलग थी इन आक्रांताओं ने हिन्दुओं को प्रताड़ित करने और जबरन उनका धर्मांतरण करने की हर संभव कोशिश की | जब इस्लाम का उदय हुआ तो हमारे यहाँ ( संपूर्ण उत्तर भारत ) हर्षवर्धन का शासन था जिसने महान गुप्त साम्राज्य के बाद बौद्ध धर्म के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | यानी खुद के धर्म से इतर एक अलग धर्म के विस्तार में सहायता प्रदान की |  इस कानून से न तो इस्लाम को कोई खतरा है और न मुसलमानों को,खतरा है तो केवल उन्हें जो इन्हें डराकर राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बचाए रखना चाहते हैं |
 वैसे 2014 से जो लोग मोदी जी की राजनीति देख रहे और वो जो देख कर भी अनजाने बन रहे उन्हें इतना जरूर पता होगा कि ये मोदी की धनुष से निकला तीर है जो वापस नहीं होगा अब इस धनुष पर समान नागरिक संहिता,और जनसंख्या कानून की प्रत्यंचा चढ़ेगी ,इंतजार कीजिए |
                                                                 

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