Saturday 5 October 2019

कौन लौटाएगा मगध का प्राचीन वैभव ? कोई चन्द्रगुप्त नहीं दिख रहा

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मगध पानी पानी हो गया है
जनता त्राहि त्राहि कर रही है
मगध की राजगद्दी पर सुशासन बाबू विराजे हैं



चटुकारियों,दरबारियों से घिरे
सबकी आँखों का पानी सूख गया है
हाथों में तीर लिए,लालटेन की बुझ चुकी रौशनी पर निशाना लगाते हुए
बुद्ध की तरह मंद मंद मुस्कान लिए
मध्यम मार्ग का आवरण ओढ़े
15 वर्षों से कुंडली जमाए |
बुद्ध ने तो ज्ञान प्राप्ति के लिए गृह त्याग किया था,
सुशासन बाबू ने तो लगता है शर्म का त्याग कर दिया है |
धनानंद की तरह सत्ता से चिपके
दलितों को महादलित,मुसलमानों को पसमांदा और पिछड़ों को अति पिछड़ा बनाते
मधुशाला पर पाबंदी लगा कर जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाते
कभी नालंदा,तक्षशिला का वैभव देख चुका विश्व,
आज यहाँ के टॉपरों को संदेह की दृष्टि से देखता है
मगध के स्वास्थ्य के तो क्या कहने हैं,
स्वयं जीवक,धन्वन्तरि,चरक यहाँ के चिकित्सालयों की व्यस्वस्था देख शर्म से पानी पानी हो जाते
ओह अतीत के गौरवशाली भग्नावशेषों पर वर्तमान का कुशासन कितना भारी पड़ा
कितनी उम्मीदों आशाओं के साथ मगध ने लालटेन युग को त्याग सुशासन बाबू को चुना था
मगर मगध का विकास रथ वहीं का वहीं रुका है
कहाँ है चाणक्य ? कौन संभालेगा मगध को ?
कौन मिटाएगा अँधियारा
कौन मुक्ति दिलाएगा,धनानंद के कुशासन से ?
कौन लौटाएगा मगध का प्राचीन वैभव
दूर दूर तक कोई चन्द्रगुप्त नहीं दिख रहा,,,,,,,,,,


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