Monday 9 September 2019

मिडिल क्लास

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कार्ल मार्क्स ने कहा था,
Let the masses rule not the classes
हमें नहीं पता हमारी क्लास का उद्भव कब हुआ ?
हम कहाँ से आए?
प्राचीन वर्ण व्यवस्था में भी हमारा जिक्र नहीं,
हाँ इतना हमें पता है कि
हम इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं,


यानि मध्य भाग,Middle Class
शीर्ष का हमें पता नहीं,शायद हम शीर्ष के लिए बने ही नहीं |
हम नैतिकता के वाहक हैं,संस्कृति के रक्षक,
सभ्यताओं के पालनहार,
हम बाजार के लिए ग्राहक हैं,
वैश्वीकरण के खेवनहार,
महीने की 30\31 तारीख को करते तनख्वाह का बेसब्री से इंतजार |
बीबी की ख्वाहिशें,
बच्चों की स्कूल फीस,
बूढ़े माँ बाप की दवाई,
15 तारीख आते-आते निकल जाती है Middle Class की रुलाई
छुट्टियों के लिए मसूरी नैनीताल ही हमारा स्विट्ज़रलैंड है
आखिर हम क्या हैं ?
ख्वाहिशों,उम्मीदों,अरमानों,जिम्मेदारियों का बोझ ढोते
त्रिशंकु की तरह न हम आसमान छू सकते,न जमीन पर गिर सकते हैं
पता नहीं किस व्यवस्था ने हमें श्राप दिया है
मिडिल क्लास कब खुलके जिया है ?
हम शासित होने को अभिशप्त हैं,
कर्म से शासित,व्यवस्था से शासित,नियम कानून कायदों से शासित |
एंटिला की नींव बनना ही हमारी नियति है,क्योंकि शीर्ष तो हमारे लिए है ही नहीं |
बजट की घोषणा,सरकारी नीतियां,मंदी की मार,मानसून का इंतजार |
सब मिडिल क्लास के लिए है यार
भेड़ बकरियों की तरह व्यवस्था की मार झेलते,
न इधर के न उधर के
एक अदद आशियाने की तलाश में,
हम मार्क्सवाद,समाजवाद के सजग प्रहरी,
पूंजीवाद के डंडे से हाँके जाते
अस्पताल में वेटिंग,ट्रेन बस मेट्रो में धक्के खाते
सुबह से शाम,शाम से रात और फिर रात से सुबह
मार्क्स के कथन के सच होने के इंतजार में ,,,
हम मिडिल क्लास 

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