Monday 5 August 2019

मैं कश्मीर बोल रही हूँ

0 comments
एक देश में रहते हुए,वर्षों से भेदभाव सहती,सीमा पार से आतंकवाद को झेलती,नेहरू के आदर्शवाद की गलतियों का खामियाजा भुगतती मैं कश्मीर बोल रही हूँ

पटेल की दृढ इच्छा शक्ति से अस्तित्व में आई,हरिसिंह के राजघराने के वैभव की साक्षी मैं कश्मीर बोल रही हूँ

धारा 370 और 35 ए के जरिये,देश के विधान और संविधान से कटने वाली,कभी खुद के तिरंगे पर इतराने वाली मैं कश्मीर बोल रही हूँ

स्वर्ग से उपमा दी जाती मेरी,प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य को समेटे,हिमालय की वादियों से मैं कश्मीर बोल रही हूँ

कभी अब्दुल्ला,कभी महबूबा,कभी कांग्रेस के अजूबों से जूझती उनकी लिजलिजी नीतियों से आजिज मैं कश्मीर बोल रही हूँ 

रक्त रंजित लाल चौक,कभी हजरतबल दरगाह,कभी उरी तो कभी पठानकोट पर आतंक का नंगा नाच झेल चुकी मैं कश्मीर बोल रही हूँ

अपने कोमल ह्रदय पर पत्थरबाजों का चोट झेलती,अफजल,बुरहान वानी जैसों के काम और हिंदुस्तान के वीर सैनिकों द्वारा उसके काम तमाम की वजह से देश दुनिया में खबरों में आती मैं कश्मीर बोल रही हूँ,

रहते मेरी मिट्टी पर,और गीत गाते हमदर्दी जताते पाक परस्त गद्दारों का बोझ ढोती मैं कश्मीर बोल रही हूँ,

अपने एक हिस्से को वर्षों से पाक के हाथों में देखती तड़पती,हुर्रियत के पीछे छिपी बदनीयती,जम्हूरियत से वंचित,इंसानियत को रोजाना रक्त रंजित होते हुए देखने वाली,कभी डल झील की खूबसूरती पर इतराने वाली अपने तारणहार की प्रतीक्षा करती मैं अभागी कश्मीर बोल रही हूँ

आज ऐसा लगता है मानो सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी,मेरी बरसों की पुकार सुनी गई 
370 और 35 ए से मुक्ति पाई, एक देश एक विधान,एक संविधान के दायरे में आई,56 इंच के सीने का आभार जताती,बलखाती,इतराती,भविष्य के सुनहरे सपनों में खोई मैं कश्मीर बोल रही हूँ,

जिन्होंने मुझे अब तक छला है अब वो हो जाएंगे अप्रासंगिक और राजनीतिक पटल पर बहुतों की बंद हो जाएगी दुकान,
मेरे आँगन में लोग बेरोकटोक गाएंगे वन्दे मातरम,देश के दुश्मनों का होगा काम तमाम,मुझे मिलेगी नई पहचान
लाल किला हो या लाल चौक हर जगह फहराएगा तिरंगा झंडा,पुरे आन बान और शान
ये सोचकर आहलादित मैं कश्मीर बोल रही हूँ | 

No comments:

Post a Comment