"हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा |" नामवर जी का हिंदी आलोचना,और साहित्य ...
"हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा |" नामवर जी का हिंदी आलोचना,और साहित्य ...
तुम सीमा पर जान गँवाओगे, शहीद कहलाओगे, मुआवजे की घोषणा होगी, तुम्हारे नाम पर गालियां,चौक,चौराहे होंगी और हाँ सड़कों का भी निर्माण होगा, ...
आज इंसान के पास वो तमाम आधुनिक सुख-सुविधाएँ मौजूद हैं,जिनकी किसी युग में कोई कामना कर सकता हो | इंसान अंतरिक्ष पर पहुंचा,चाँद पर कदम रखे,एव...
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