Saturday 27 May 2017

भारत रत्न सचिन के सामाजिक सरोकार

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जब किसी व्यक्ति को पुरस्कार मिलता है तो उसके सामाजिक सरोकार और जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं | और पुरस्कार जब भारत रत्न जैसा हो और प्राप्तकर्ता सचिन तेंदुलकर हो तब तो क्या कहने | अमूमन यह पुरस्कार लोगों को जीवन की सांध्य बेला में या मरणोपरांत मिलता है | लेकिन सचिन इसके अपवाद हैं | 2013 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से सन्यास लेने के कुछ ही महीनों बाद यूपीए सरकार ने 40 वर्षीय सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न सचिन तेंदुलकर बना दिया | क्रिकेट के भगवान ने रत्न धारण कर लिया,भक्तगण हर्षित पुलकित हो उठे,कहने लगे यह सम्मान सचिन का नहीं भारत रत्न का है | ऐसा लगा मानो सचिन को भारत रत्न इस देश की सबसे युगांतकारी घटना है | हालाँकि एक तबका ऐसा भी था जिसे लगा कि सचिन को यह पुरस्कार जल्दबाजी में और नितांत राजनीतिक फैसले के तहत दिया गया,और इस बात में दम भी था |
यूपीए 2014 में खुद को जमींदोज होने से बचाने के लिए तमाम तरह की कोशिशें कर रहा था | उसे लगा की गर क्रिकेट का भगवान पंजा थाम ले और आगामी चुनाव में पंजे के लिए प्रचार करे तो इसका अच्छा खासा फायदा पार्टी को मिलेगा | लेकिन भगवान तो दूरदर्शी होते हैं उन्होंने सिर्फ रत्न थामकर पंजे को झटक दिया,और कांग्रेस मन मसोसकर रह गई,उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है | 
                                                 खैर अब आते हैं सचिन के सामाजिक सरोकारों पर | सचिन के कट्टर भक्तों को भी सचिन द्वारा किया गया ऐसा कोई कार्य शायद ही दीगर हो जो देश की आम समस्या से जुड़ा हो | देश में कोई भी प्राकृतिक आपदा आए,सैनिक सीमा पर जान गंवाए या किसान आत्महत्या करे कभी इस भारत रत्न की ना तो जुबां से कुछ निकलता है और न जेब से (एक आध अपवाद छोड़ दें ) | क्या भगवान ख़ामोशी का यह आवरण इसलिए ओढ़े रहते हैं ताकि जुबान खुलने पर कहीं कोई विवाद ना उत्पन्न हो जाए और भगवान के हाथ से कोई ब्रांड इंडोर्समेंट की डील ना खत्म हो जाए | भगवान सिर्फ मंद मंद मुस्कुराते हुए अपनी तिजोरी भर रहे |    जरा सचिन द्वारा एंडोर्स किए जा रहे विज्ञापनों पर गौर फरमाइए पेप्सी,कोला,बुस्ट,टायर,बिस्कुट,सीमेंट,जूता,कैमरा,फोन मतलब मधुशाला को छोड़कर जो भी भगवान के पास आया भगवान ने उसका प्रचार किया | और हमारी खोखली मीडिया में यह प्रचार हुआ कि भगवान किसी ऐसी चीज का प्रचार नहीं करते जो समाज और शरीर के लिए नुकसानदेह हो | बहुत खूब |
                                                                         यूँ तो परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारी ऐसे विषय हैं जिसके लिए किसी पर दबाव नहीं डाला जा सकता,लेकिन एक ऐसे निम्न मध्यवर्गीय परिवार से निकला शख्स जिसने थोड़ा अभाव झेला हो और जिसकी सफलता किसी परिकथा जैसी हो तो ऐसे में समाज के लिए उस शख्स की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है | 
कांग्रेस ने 2012 में भगवान को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत कर दिया | लोगों को लगा कि भगवान कम से कम खेल से जुड़े मुद्दों पर बतौर सांसद कुछ योगदान देंगे | पर भगवान की राज्यसभा में उपस्थिति ईद के चाँद वाले मुहावरे को भी मात दे गई | वायु सेना ने सचिन को ग्रुप कैप्टन की मानक उपाधि दी | शायद यह सोचकर कि सचिन युवाओं को वायु सेना में आने के लिए प्रेरित करेंगे,लेकिन सचिन यहाँ भी सांकेतिक चीजों से आगे ना बढ़ पाए |
    देश को ऐसे भारत रत्न से क्या फायदा जो कभी उपहार में मिली फेरारी पर टैक्स में छूट मांगने के लिए,कभी रक्षा मंत्री से मिलकर रक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में अपने आशियाने की मंजूरी के लिए कभी बीसीसीआई से अपनी फिल्म बनाने के लिए मुफ्त में फुटेज मांगने के लिए चर्चा में रहता है लेकिन आज तक न तो कभी संसद और ना ही संसद के बाहर देश की किसी भी समस्या के निदान के लिए कभी कोई कदम उठाता हो,या जुबान खोलता हो |
     सचिन ने क्रिकेट को धर्म बनाया और लोगों ने सचिन को उस धर्म का देवता बना दिया | पर क्या हमारे देश में धर्म,धर्म गुरुओं और धर्म के नाम पर किए जा रहे तमाम तरह के पाखंडों की कमी थी जो एक और धर्म आ गया | दरअसल देश को जरुरत है कर्म की और ऐसे कर्मठ योगियों की जो अपने कर्म से देश समाज में सार्थक बदलाव के वाहक बन सकें | अफ़सोस भारत रत्न सचिन सिर्फ अपने कर्म में केंद्रित हो गए |
     पुनश्चः सचिन की बायोपिक कल रिलीज़ हुई है,और जैसी की उम्मीद थी महाराष्ट्र सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया है | उम्मीद की जानी चाहिए कि सचिन इस फिल्म की कमाई का एक हिस्सा महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खर्च करेंगे | कालांतर में देश,सचिन को इस बात के लिए याद नहीं रखेगा कि इस देवता ने अपने लिए क्या किया | अगर सचिन को सही मायनों में रत्न बनना है तो अब भी समय है,शुरुआत कीजिये चमक बिखेरिये |
                                          

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