Saturday 21 January 2017

कांग्रेस के पतन के निशान ढूंढना मुश्किल नहीं बेहद आसान है

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जरा कांग्रेस की दशा और दुर्दशा देखिये | अखिलेश ने पहले कांग्रेस को 140 सीटें देने का वादा किया था | इससे Relax होकर पप्पू विदेश चले गए वैसे देश में रहकर भी क्या उखाड़ लेते | फिर जैसे ही अखिलेश को संपूर्ण साइकिल मिली वो 120 सीटों पर आ गए,पप्पू बोले Its Ok. अब अखिलेश 100 सीटों पर भी आनाकानी कर रहे | कांग्रेस शायद 80 पर भी मान जाएगी लेकिन नेताजी से राजनीतिक साइकिल छीनकर और सपा के अधिकांश नेताओं का समर्थन पाकर अनुभवी,मजबूत अखिलेश शायद यह समझ चुके हैं कि कांग्रेस को स्वादिष्ट खाना तो चाहिए लेकिन उसके पास एक अदद चूल्हा तक नहीं है | कुछ बर्तन हैं जो इधर उधर बिखरे पड़े हैं,कुछ बिना पेंदी के भी लोटे हैं तो खाने का सारा भार अखिलेश अपने कंधों पर क्यों उठाने लगे |
                                                                 पप्पू के पार्टी की समस्या ये है कि उसके पास अकेले चुनाव लड़ने के लिए 403 क्या 200 उम्मीदवार भी ढंग के नहीं हैं | क्योंकि 2014 से ही कांग्रेसी अपने पप्पू के सहारे सारी ऊर्जा मोदी जी की खामियां निकालने में लगा रहे | 127 साल पुरानी पार्टी उस पप्पू के सहारे भवसागर पार करने में लगी है जिसे तैरना ही नहीं आता | वो कभी-कभी तैरने की कोशिश करता भी है तो किनारे-किनारे और बेचारा थककर विदेश चला जाता है अपनी थकान मिटाने |
                                                                 हर चुनाव की तरह 10 जनपथ के चाटुकारों ने इस बार भी शालीन शीला और नाम के बब्बर राज बब्बर को बलि के बकरे के रूप में ढूंढ लिया है | मदाम को हमेशा सच से दूर रखते हुए पार्टी के पतन में सहायक बन रहे ये वो कांग्रेसी हैं,जिन्हें पप्पू में कांग्रेस का भविष्य नजर आता है | शायद इनकी भी मज़बूरी होगी क्योंकि जिन चाटुकारों के पास ना तो अपना आधार है और ना जनाधार उन्हें इंदिरा के पोते में ही अपना आधार नजर आएगा ना | सच बोलेंगे तो तुरंत 10 जनपथ इनके स्वतंत्र पथ को अग्निपथ बना देंगे | सब शरद पवार और ममता बनर्जी की तरह दूरदृष्टि और अपने आधार वाले थोड़े ना होते हैं |
                                                                    दरअसल अब कांग्रेस यह मान चुकी है कि वो अकेले दम पर कहीं भी चुनाव नहीं जीत सकती और दूसरे उसका ध्यान खुद जीतने से ज्यादा भाजपा और मोदी जी को हराने में लगा है तो ऐसे में परिणाम भी उसी तरह आएँगे ना | UP चुनाव परिणाम में ना तो पंजे के हाथ कुछ आने वाला है और ना ही कुछ दांव पर लगा है | 127 वर्षीय कांग्रेस के पतन के निशान ढूंढना मुश्किल नहीं बेहद आसान है | पतन के यही सब तो निशान हैं |हे कांग्रेसियों ढूंढो

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