Saturday 7 November 2015

पाटलिपुत्र का विचित्र राजतिलक

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पाटलिपुत्र में आज सुबह से ही हलचल मची थी,संजय (मीडिया) का आँखों देखा विवरण,धृतराष्ट्र का कौतुहल,भीष्म पितामह की विवशता,शकुनी की कुटिलता,विदुर की सहजता सब अपने-अपने हिसाब से आकलन में लगे थे,कि आज पाटलिपुत्र की गद्दी पर किसका राजतिलक होगा ?| सूरज की चढ़ती किरणों के साथ यह तय होने लगा कि लालटेन में तेल न होने के बावजूद वो पाटलिपुत्र को रौशनी देगा (कैसे पता नहीं ),तीर खुश हो रहा था की डरते-डरते ही सही निशाना तो सही लगा,पंजे का कुछ भी दांव पर नहीं लगा था सो उसके लिए तो चिंता,चिंतन,आकलन जैसी कोई बात ही नहीं थी | अपराह्न होते-होते नगर वधुएँ (आरक्षण,जातिवाद,कुशासन,परिवारवाद ) मुरझाते और लगभग समर्पण करते हुए कमल की निराशा को देखते हुए निर्लज्जता से अपना वैचारिक अंग प्रदर्शन करते हुए नृत्य करने लगीं | ऐसा लग रहा था मानो पाटलिपुत्र सिर्फ पाटलिपुत्र पर ही नहीं वरन वहां से हस्तिनापुर पर भी राज करेगी |
                                                    इधर धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार खूंटे से असहाय सी बंधी गौ माता और उसके माथे पर लगे तिलक को हिकारत भरी नजरों से देखते हुए ताने मार रहे थे |
                                                                 कुछ समय बाद राजपुरोहित ने जैसे ही इस बात की उद्घोषणा की कि कुछ ही क्षणों में राजतिलक समारोह शुरू होगा सब शांत होकर अपने राजा की प्रतीक्षा करने लगे | फिर राजतिलक का समारोह आरंभ हुआ |
                          अभी राजा के मस्तक पर राजपुरोहित असहाय सी बंधी गौ माता के माथे पर लगे तिलक को राजमस्तक पर लगाने ही वाले थे कि अचानक दरबार में अँधेरा छा गया | सारे दरबारी सुशासन-सुशासन चिल्लाते हुए लालटेन की तलाश में निकले | खैर काफी देर के बाद किसी तरह राजतिलक का समारोह समाप्त हुआ |
  कुछ समय बाद नगरवासियों को यह एहसास हुआ कि उनके द्वारा किया गया राजा का चुनाव गलत साबित हो रहा है,जनता त्राहिमाम करने लगी तो उन्हें विकास और सुशासन की याद आई | बात बड़ी मुश्किल से राजा के कानों तक पहुंची तो राजा ने अपने तमाम दरबारियों को विकास और सुशासन की खोज करने को कहा |पर अब काफी देर हो चुकी थी,क्योंकि विकास और सुशासन अपनी उपेक्षा से कुपित होकर अज्ञातवास पर चले गए थे | इधर पाटलिपुत्र अपने मस्तक पर ऐसा विचित्र राजतिलक महसूस कर दुखी और कुपित हो रही थी | 

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