Friday 16 October 2015

गाय को गाय ही रहने दो उसे बीफ न बनाओ,

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गाय को गाय ही रहने दो उसे बीफ न बनाओ,
किसी की आस्था रूपी माँ को,
थाली में सजाकर नफरत की आंधी न फैलाओ |
माना की तुम वोट बैंक के लिए
कुछ सियासतदानों की मज़बूरी हो,
पर हमारी सहिष्णुता को हमारी कमजोरी न बनाओ |
तुम्हारे रसूले पाक का हम करते हैं सम्मान,
पर तुम्हें भी रखना होगा हमारे देवताओं का मान |
तुम ब्रह्मुहर्त में अजान बजाओ,कोई बात नहीं,
पर दिवाली के पटाखों पर धर्म का मुलम्मा तो न चढ़ाओ |
होली के रंग में तुम्हें धर्म नजर आता है,
क्यों तुम्हारी औरतों को सिर्फ काले रंग का बुरका ही भाता है,
वंदे मातरम् क्यों तुम्हारे हलक के नीचे नहीं उतर पाता है |
तुम कहती हो हम गंगा जामुनी संस्कृति के वाहक हैं,
पर गंगा भी तुम्हें एक धर्म से जुड़ी नजर आती है |
फैलाओ अपने विचारों का फलक,
दड़बे में रहकर कोई आसमान नहीं छू पाता है |

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