Thursday 16 July 2015

बाहुबली में,एक्टिंग की बहुत कमी खली

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गली,नुक्कड़,मेट्रो,मॉल,ऑफिस हर जगह बाहुबली का शोर मचा था | मैंने सोचा जब इतने लोग बाहुबली-बाहुबली चिल्ला रहे हैं तो जरूर इसमें कुछ बात होगी | बस कल कार्यालय से निकलकर अपने कुछ परिजनों के साथ जा पहुंचा बाहुबली की तपिश महसूस करने | शुरुआती दृश्यों को देखकर कुछ देर के लिए लगा कि सच में यह शोर वाजिब था | स्क्रीनप्ले,ग्राफ़िक्स सिनेमेटोग्राफी ये सब थोड़ा हॉलीवुड वाली Good फीलिंग दे रहे थे | लेकिन यह सुखद एहसास बस दस-पंद्रह मिनट के अंदर ही काल कलवित होने लगा | फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ते गई मुझे लगा जैसे मैं किसी कॉमिक्स के किरदारों को परदे पर जीवंत देख रहा हूँ |
                                                                   संवाद अदायगी में भाव शून्यता | बाहुबली द्वारा शिवलिंग को ऐसे उठाना जैसे वह सुबह-सुबह व्यायाम कर रहा हो |और उसका बार-बार 40 फ़ीट की ऊंचाई से पानी में ऐसे गिरना मानो वह ओलंपिक में Qualify करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा हो | कुल मिलाकर फिल्म समय के साथ-साथ सच्चाई और वास्तविकता से मुझे कोसों दूर लेके जा रही थी | उसपर से रही सही कसर जबरदस्ती ठूंसे गए गानों ने निकाल दी | मैं उन गानों के वक्त कान में ईयर फोन लगाकर सोच रहा था कि बहुत अच्छा हुआ जो गांधी जैसी महान ऐतिहासिक फिल्म रिचर्ड एटनबरो ने बनाई |अगर यही फिल्म करण जोहर,डेविड धवन,राम गोपाल वर्मा या किसी अन्य typical bollywood type निर्देशक (जिनकी एकमात्र रचनात्मकता हॉलीवुड फिल्मों को केवल बॉलीवुड का तड़का लगाना होती है ) ने बनाई होती तो जरा सोचिये बेन किंग्सले (गांधी ) और रोहिणी हटंगटे (बा ) को इनलोगों ने कितना डांस करवाया होता |
                                                                       बाहुबली ने फिल्म साइन करने के बाद लगता है सलमान खान से एक्टिंग की टिप्स ली थी और फिल्म में उसने उस टिप्स को पूरी शिद्दत के साथ फॉलो किया | हाँ शिवमणि और कटप्पा ने अपने हिस्से के किरदार को बहुत शानदार तरीके से परदे पर जीवंत किया | इस फिल्म को बनाने में जितनी लागत आई है उतने में रशेल क्रो की ग्लैडिएटर की तरह नहीं तो कम से कम उसके आस-पास जैसा बनाया जा सकता था | लेकिन बॉलीवुड एक बार फिर अपनी आदतों से बाज नहीं आया |
                                                                       कुछ लोग आमिर की पीके पर इस फिल्म के बहाने कटाक्ष भी कर रहे थे,कि उसने भगवान को गरियाकर एक महीने में 100 करोड़ की कमाई की और बाहुबली ने शिवलिंग को उठाकर सिर्फ पांच दिनों में 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया | खैर ऐसा सतही विश्लेषण करने वाले कला और कलाकर को भी धर्म और जाति के दायरे में रखना चाहते हैं | उसकी चर्चा कभी बाद में की जाएगी | वैसे आमिर की पीके के सामने यह फिल्म कहीं नहीं टिकती |
                                               हाँ यह फिल्म उनलोगों को जरूर पसंद आई होगी या आएगी जो सलमान के फैन हैं या फिर वो जो सिनेमा को केवल और केवल मनोरंजन का माध्यम समझते हैं  |
                                                                         पुनःश्च -- मैंने कौन बनेगा करोड़पति के एक एपिसोड में देखा था कि जब एक contestant किसी सवाल पर अटक जाता है तो अमिताभ उसे लाइफ लाइन का प्रयोग करने की सलाह देते हैं,और वह contestant वहां बैठे दर्शकों की सलाह मानकर जवाब देता है,और जवाब गलत हो जाता है | मतलब बहुमत हमेशा सही नहीं होता | बाहुबली पार्ट टू देखने की मुझे बिलकुल भी इच्छा नहीं है | कटप्पा का क्या हुआ ये मुझे आप में से ही कोई बता दीजिएगा | 

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