Saturday 16 May 2015

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एक बार फिर नई जगह,नए लोग,नई दीवारें, मेरे बैठने की नई कुर्सी जिससे कभी मेरी ठीक से जान पहचान नहीं हो पाई | इस नएपन में एक चीज हमेशा मौजूं...