Saturday 28 March 2015

जितनी जल्दी हो सके AAP काल कलवित हो जाओ

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भूमिका - बौद्धिकों का कोई जनाधार नहीं होता,यह मैं काफी लंबे अरसे से सुनता आ रहा था | आज योगेंद्र यादव,प्रो आनंद कुमार आदि के साथ AAP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जैसा दुर्व्यवहार (और लोगों को हो सकता है यह व्यवहार लगे ) हुआ उसने यह साबित कर दिया की इस कथन में कितनी सच्चाई है |
पृष्ठभूमि - आम आदमी के सपनों को हकीकत में बदलने,स्वराज का नारा देने और लोकतंत्र का मुखौटा ओढ़कर,दिल्ली में स्थापित राजनीतिक दलों को मात देकर सत्ता पाने वाली पार्टी में जो कुछ भी हुआ और जो कालांतर में होगा वह अनोखी बात नहीं है | वैसे भी सत्ता को पाना और उससे जुड़े कर्तव्यों का निर्वहन दोनों अलग-अलग बात है | यह होगा सबको पता था ( कुछ अंधभक्तों को छोड़कर जो आप की उपज को एक महान परिघटना मान रहे थे ) लेकिन इस तरीके से होगा इसका इल्म तो आपके साधारण कार्यकर्ताओं को भी नहीं होगा ( सावधान,अरविंद केजरीवाल भी खुद को साधारण कार्यकर्ता ही कहते हैं ) |
मुद्दा - दरअसल इस पार्टी का गठन जिन मुद्दों,व्यक्तिगत केंद्रीकरण और बिना किसी वैचारिक आधार के हुआ था उसकी तार्किक परिणति तो इसी रूप में सामने आती | आपके पार्टी बनने के बाद इसमें अधिकांश ऐसे लोग शामिल हो गए जिनका,स्वराज,लोकतंत्र इत्यादि जैसे शब्दों में कोई यकीन नहीं था ( निश्चित रूप से इसमें योगेन्द्र यादव और प्रो आनंद कुमार नहीं हैं ) | आपके अंदर चल रही इस नूरा कुश्ती को खबरिया चैनलों का एक बड़ा तबका ऐसे दिखा रहा है जैसे यह विचारों और सिद्धांतों की लड़ाई हो | चैनलों को AAP से शायद इसलिए ज्यादा मोहब्बत है क्योंकि AAP में कई दलाल पत्रकार के रूप में शामिल हैं |
मेरा व्यक्तिगत तौर पर यह मानना है कि यह सारी कवायद दिल्ली की चार राज्यसभा सीटों को लेकर है | आखिर लुटियंस का बंगला और सरकारी दामाद बनना किसे अच्छा नहीं लगता | चूँकि निष्कासित बौद्धिक वर्ग अपने लिए आंतरिक समर्थन नहीं जुटा पाया,या यूँ कहें की उन्होंने उन सिद्धांतो से समझौता नहीं किया जिसके लिए उन्होंने आपका सपना देखा था | इसलिए उन्हें दलालों के बड़े वर्ग ने हाशिये पर डाल दिया |
आज दिल्ली की जनता को बड़ा अफ़सोस हो रहा होगा,की जिस झाड़ू को हमने गंदगी साफ़ करने के लिए सत्ता सौंपी थी उसमें खुद इतनी गंदगी है कि वह उनके सपनों पर ही झाड़ू फेर रहा है |
पुनश्च;- लार्ड कर्जन ने कांग्रेस पार्टी के बारे में कहा था यह पार्टी अपने पतन की ओर अग्रसर है और मेरी एकमात्र इच्छा है कि मैं इसके पतन में सहायक बनूँ | मैं लार्ड कर्जन तो नहीं हूँ लेकिन मेरी दिली इच्छा है कि जितनी जल्दी हो सके आप काल कलवित हो जाओ | लोगों को सांकेतिक स्वराज और लोकतंत्र का मुखौटा नहीं चाहिए |

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