Sunday 25 January 2015

अपनों पे करम गैरों पे रहम

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पृष्ठभूमि-कल शाम जब मैं कार्यालय से रोजाना की तरह मैट्रो स्टेशन पहुंचा तो देखा यात्रियों की लंबी कतार लगी थी | मैं इतने दिनों से  मैट्रो का नियमित यात्री रहा हूँ लेकिन कभी कौशांबी जैसे स्टेशन पर इतनी भीड़ नहीं देखी,सो मुझे आश्चर्य भी हुआ और खीज भी आई | खैर जैसे-जैसे मैं भीड़ से कदमताल करते हुए आगे बढ़ता गया मुझे माजरा समझ में आने लगा | जिस मैट्रो में आम दिनों में यात्रियों को एक बार सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता था आज उन्हें तीन सुरक्षा चरणों से गुजरना पड़ रहा है | यह कड़ी सुरक्षा जांच प्रक्रिया क्या हमारी सुरक्षा के लिए की जा रही है ? नहीं नहीं हम आम लोगों को सुरक्षा की क्या जरुरत हमें तो भगवान सुरक्षा दे ही रहा है | दरअसल यह सारी कवायद ओबामा के दौरे के मद्देनजर की जा रही है | 

मुद्दा-जिस दिन से ओबामा के भारत दौरे का आधिकारिक एलान हुआ है | सुरक्षा एजेंसियों से लेकर मीडिया तक ओबामा के दौरे के लिए बावरा हुआ जा रहा है | करीब एक लाख पुलिसकर्मी, 200 कंपनी पैरामिलिट्री के जवान,1500 सीसीटीवी यह सारा कुछ उस देश के राष्ट्रपति के लिए किया किया जा रहा है जिसे हम पानी-पी-पी कर अपना रणनीतिक साझेदार बताते नहीं थकते| हम इस बात पर शर्मिंदगी महसूस करने की बजाय की 66 साल के गणतांत्रिक देश में आधी से ज्यादा आबादी एक डॉलर से कम मूल्य पर रोजाना गुजारा करती है ,इस बात पर गौरवान्वित महसूस कर रहे की ओबामा पाकिस्तान नहीं जा रहे | अरे मूरख ओबामा का शरीर भले ही भारत में रहे दिल पाकिस्तान में ही रहेगा | बात यहीं ख़त्म नहीं होती इस सुरक्षा का आतंक इतना है कि सड़के,मकान,दुकान हर जगह इसे महसूस किया जा सकता है | ट्रैफिक डायवर्सन,बंद सड़कें,विदेशी नस्ल के कुत्तों की सुरक्षा जांच में लगी फ़ौज | आखिर इस ड्रामेबाजी से हम क्या हासिल करेंगे ? ज्यादा से ज्यादा यही ना की ओबामा भारत की जमीं से पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देंगे,आतंकवाद से मिलकर लड़ने की कसमें खाएंगे,कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे और फिर वापस उसी जमीन पर चले जाएंगे जो दिल और दिमाग दोनों से पाकिस्तान को चाहता है | यह गणतंत्र दिवस हमारा है इसमें ओबामा जैसे अतिथि की क्या जरुरत ? क्या ओबामा के बिना या इतने तमाशे के बिना हम गणतंत्र के मूल्यों को आत्मसात नहीं कर सकते | संविधान क्या इसलिए लागू हुआ था की इस दिन को हर साल आम आदमी की आजादी को बंधक बना दिया जाए ? जब तक ओबामा भारत की जमीं पर रहेंगे हम जैसे आम भारतीय को शक की निगाहों से देखा जाएगा | अपने ही मुल्क हमारे साथ ऐसा दोयम दर्जे का व्यवहार | 
इस देश में आतंकवादी हमले अब कोई नई बात नहीं रही | कभी भी कहीं भी आप अल्लाह को प्यारे हो सकते हैं इसी के मद्देनजर,उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश सरकार को दिया था | यह निर्देश अभी फाइलों में धूल फांक रहा होगा | लेकिन ओबामा की सुरक्षा के लिए दिल्ली में 1500 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं | क्या हम यह कल्पना कर सकते हैं कि अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मोदी मुख्य अतिथि हों (हालाँकि वहां ऐसी ड्रामेबाजी नहीं होती ) समूचा वाशिंगटन हाई अलर्ट पर और वहां की आधी से ज्यादा पुलिस मोदी की सुरक्षा में लगी हो | क्यों आतंकवाद का खतरा तो वहां भी है | हम और वो दोनों तो खौफ में जीते हैं | तो फिर ऐसा क्यों कि उनका खौफ और डर हमारे सर माथे पर.और इसके लिए हमारी सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी जाए | 
इतिश्री- हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का दंभ भले ही भरते रहें लेकिन जब तक अपनों के लिए अपना तंत्र ठीक नहीं करेंगे और अपनों पे करम गैरों पे रहम करते रहेंगे ऐसे आयोजन और ऐसे अतिथि कभी हमारा भला नहीं कर पाएंगे | आने वाले ऐसे ही भारत आएँगे (वो भारत को एक देश नहीं वरन संभावनाओं का बाजार समझ कर आते हैं ) और हमें आश्वासनों का ठेंगा दिखाकर चले जाएंगे | 

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