Thursday 1 January 2015

केजरी अब नहीं बनेगा जनता का घर जमाई

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आम-आदमी के सपनों और हकीकतों से शुरू हुआ ये साल,
फिर केजरी भैया ने अपने धरना-प्रदर्शनों से किया सबका जीना मुहाल |
ठिठुरती ठंड में दिल्ली सरकार सड़क पर आ गई 
और अपनी बचकानी हरकतों से केजरी 
जनता की नजरों में 
चढ़ने की बजाय जमीन पर आ गई | 
लोकपाल का ढाल तो एक बहाना था 
केजरी तो केंद्र की सत्ता का दीवाना था | 
दे मारा लोकपाल के बहाने  इस्तीफा 
सोचा जनता से मिलेगा लोकसभा का वजीफा | 
इधर मोदी का तूफान जनता के सर चढ़कर बोलने लगा 
और केजरी सेना का विश्वास और इल्म भी डोलने लगा | 
मोदी ने काशी को कर्मस्थली बनाने की ठानी 
फिर क्या था इस मफलर धारी ने सोचा 
काशी में भी करेंगे मनमानी | 
चुनाव नतीजे आते ही केजरी का हुआ बुरा हाल 
कहाँ तो सोचा था बनेंगे सत्ता में भागीदार,
पर खांसते-खांसते  
सिर्फ चार को ही पहुंचा सका लोकतंत्र के मंदिर के द्वार | 
इधर मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ खाई
उधर शुरू हुई केजरी के घर में रुसवाई 
जो जुड़े थे सत्ता की मलाई खाने 
केजरी के साथ 
एक-एक कर छोड़ने लगे उसका हाथ | 
जिस झाड़ू को थामे केजरी ने खाई थी कसम 
भ्रष्टाचार मिटाने की 
मोदी ने उसी झाड़ू से झटका ऐसा 
की केजरी को फिर याद आई दिल्ली आज़माने की |
एक बार फिर 
केजरी हुआ है दिल्ली की सत्ता का दीवाना 
इस बार कहाँ धरने पर बैठने देगा उसे ये जमाना ?
अरे केजरी 
एक बार तूने 
दे दी दिल्ली की जनता को रुलाई 
अब क्यों वो बनाएगी तुझे जनता का घर जमाई ?

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