आम-आदमी के सपनों और हकीकतों से शुरू हुआ ये साल,
फिर केजरी भैया ने अपने धरना-प्रदर्शनों से किया सबका जीना मुहाल |
ठिठुरती ठंड में दिल्ली सरकार सड़क पर आ गई
और अपनी बचकानी हरकतों से केजरी
जनता की नजरों में
चढ़ने की बजाय जमीन पर आ गई |
लोकपाल का ढाल तो एक बहाना था
केजरी तो केंद्र की सत्ता का दीवाना था |
दे मारा लोकपाल के बहाने इस्तीफा
सोचा जनता से मिलेगा लोकसभा का वजीफा |
इधर मोदी का तूफान जनता के सर चढ़कर बोलने लगा
और केजरी सेना का विश्वास और इल्म भी डोलने लगा |
मोदी ने काशी को कर्मस्थली बनाने की ठानी
फिर क्या था इस मफलर धारी ने सोचा
काशी में भी करेंगे मनमानी |
चुनाव नतीजे आते ही केजरी का हुआ बुरा हाल
कहाँ तो सोचा था बनेंगे सत्ता में भागीदार,
पर खांसते-खांसते
सिर्फ चार को ही पहुंचा सका लोकतंत्र के मंदिर के द्वार |
इधर मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ खाई
उधर शुरू हुई केजरी के घर में रुसवाई
जो जुड़े थे सत्ता की मलाई खाने
केजरी के साथ
एक-एक कर छोड़ने लगे उसका हाथ |
जिस झाड़ू को थामे केजरी ने खाई थी कसम
भ्रष्टाचार मिटाने की
मोदी ने उसी झाड़ू से झटका ऐसा
की केजरी को फिर याद आई दिल्ली आज़माने की |
एक बार फिर
केजरी हुआ है दिल्ली की सत्ता का दीवाना
इस बार कहाँ धरने पर बैठने देगा उसे ये जमाना ?
अरे केजरी
एक बार तूने
दे दी दिल्ली की जनता को रुलाई
अब क्यों वो बनाएगी तुझे जनता का घर जमाई ?