Sunday 30 November 2014

ये कहाँ आ गए हम यूँ ही दूर-दूर चलते

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                                ये कहाँ आ गए हम यूँ ही दूर-दूर चलते 
स्कूल के बस्ते में किताबों का बोझ बढ़ गया
जिसे 98 % से काम मार्क्स आया
वो साला रेस में पिछड़ गया,
अब मुर्गे की बांग नहीं 
वाट्स ऍप के Tune से सुबह होती है 
बिस्तर के सामने अब भगवान नहीं 
सन्नी Leone और शकीरा की फोटो लगी होती है | 
कोई हमारी आदतों को 
लाइक करे ना करे इसकी फिकर नहीं 
पर फेसबुक के स्टेटस के लाइक की बड़ी फिकर होती है | 
अपनी चीजों को शेयर करना तो जैसे हम भूल ही गए 
हाँ फेसबुक पर कोई हमारी चीजों को शेयर करे 
तो दिल को बड़ी तसल्ली होती है | 
गुरु की जगह अब गूगल आ गया है 
और बिना गुरु दक्षिणा के वो ज्ञान की रौशनी फैला रिया है | 
एक जमाना था 
जब एक छत के नीचे 
दिन रात कई बच्चों की किलकारियाँ गूंजा करती थी
अब तो एक बच्चे की 
किलकारी में माँ की किलकारी निकल जाती है | 
चावल दाल खाने वाले अब गरीब समझे जाते हैं 
और धन कुबेर अपनी मर्सिडीज़ में 
कुत्ते को पिज़्ज़ा बर्गर खिलाते हैं | 
टेलीग्राम की जगह अब ट्विटर आ गया 
और डाकिये के पत्रों को E mail खा गया | 
गीता कुरान और Bible  की जगह 
Maxim,Debonair Playboy छा गया | 
शिव,हनुमान और राम को 
हमने दोयम दर्जे का बना दिया 
क्योंकि जीते जी हमने 
आसाराम और रामपाल जैसों को भगवान का दर्जा दिला दिया | 
हम दो हमारे दो के चक्कर में
हमने संयुक्त परिवार को सूली पे चढ़ा दिया 
और दोस्तों 
मुफ्त में तो अब हंसी भी नहीं दिखती है 
क्योंकि हंसने,हंसाने के लिए भी अब Laughter Club आ गया 

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