Monday 21 July 2014

वर्ल्ड क्लास भारतीय रेल आख्यान

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                                               वर्ल्ड क्लास भारतीय रेल आख्यान

आज सुबह मुझे बहु प्रचारित वर्ल्ड क्लास नई delhi रेलवे स्टेशन जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ (इधर काफी दिनों से नहीं गया था क्योंकि रेलवे ने बिहार जाने वाली गाड़ियों के लिए एक नया वर्ल्ड क्लास स्टेशन आनंद विहार तैयार कर दिया है) | मेरी दीदी howrah-नई delhi राजधानी से आ रही थी,उन्हें रिसीव करने जाना था| खैर रात में जल्दी सो गया था क्योंकि हम यह मानकर चलते हैं कि राजधानी लेट नहीं होती | ट्रेन सुबह 10 बजे पहुंचने वाली थी | सुबह उठते ही दीदी का फ़ोन आया कि ट्रेन एक घंटे लेट है | खैर मैं नियत समय पर(करीब 10.45) स्टेशन पहुँच गया | एक जिम्मेदार नागरिक की तरह (वैसे बिना टिकट के हम बहुत यात्रा किये हैं,खैर वो दौर और था) प्लेटफार्म टिकट लेने गया तो देखा चार लंबी लाइन लगी हुई थी | भीड़ में जाकर पता चला की ये वर्ल्ड क्लास का अपना क्लास है दो लाइन वैध थी और दो अवैध | मुझे उस काउंटर के आसपास कोई वर्दीधारी नजर नहीं आया (प्लेटफार्म टिकट में कोई कमाई नहीं होती है ना शायद इसलिए) |आधे घंटे की जद्दोजहद के बाद मेरे हाथ में प्लेटफार्म टिकट आया,चेहरे पर ख़ुशी थी एक बाधा पार करने की | अंदर गया तो देखा स्टेशन के डिस्प्ले बोर्ड पर अब ट्रेन के दो घंटे लेट से आने की स्क्रीन चल रही थी | ओफ़ हो अजीब मुसीबत है यार | प्यास लगी थी चारों तरफ नजर दौड़ाया कहीं सार्वजनिक नल से वर्ल्ड क्लास पानी आ रहा हो,नतीजा सिफर रहा,क्लास तो दूर की बात कहीं नल से पानी ही नहीं आ रहा था| (लोग भारतीय रेल को बेवजह बदनाम करते हैं कोई यहाँ आके देखे तो सही की रेलवे कैसे पानी बचाती है) बोतल वाला पानी लेने गया,भैया ek Bisleri देना,उसने जवाब दिया ठंडा नहीं होगा,मैंने कहा जो भी है दे दो | मैंने उसे बीस रूपये दिए,एक मिनट वेट किया कि वो दो रूपये मुझे लौटाएगा क्योंकि बोतल पर कीमत अठारह रुपए अंकित थी | उधर से कोई प्रतिक्रिया ना मिलता देख मैंने कहा भैया पैसे।उसने मुझे ऐसे देखा मानो मैंने कोई अपराध कर दिया हो,यहाँ बीस में ही बोतल मिलती है उधर से जवाब आया | मैंने उससे ज्यादा बहस नहीं की (सोचा वर्ल्ड क्लास स्टेशन का सरचार्ज ले रहा हो आखिर वो अपने पॉकेट से तो देगा नहीं ना) |खैर ट्रेन ढाई घंटे की देरी से पहुंची |हम लोग गाड़ी में बैठे ही थे की दीदी बोली मुगलसराय स्टेशन पर इसी ट्रेन में किसी पैसेंजर के खाने में कॉकरोच मिल गया था,उसने हंगामा मचा दिया इस वजह से ट्रेन वहाँ काफी लेट हो गई | हमको उस पैसेंजर पर बहुत गुस्सा आया इसलिए नहीं की उसकी वजह से ट्रेन लेट हो गई बल्कि इसलिए की एक तो रेलवे ने उस कॉकरोच का अलग से पैसा नहीं लिया और दूसरा ये की उस बुड़बक को क्या ये पता नहीं था की वर्ल्ड क्लास ट्रेन में कॉकरोच भी वर्ल्ड क्लास का होगा | हूँ इति वर्ल्ड क्लास पुराण |              

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