लहर और साहिल
लहरें हमेशा साहिल की मेहमान होती हैं,वो कुछ क्षण के लिए ही सही
साहिल को अपनी मौजूदगी का एहसास कराती हैं|
साहिल को पता है की लहर का हर
एक स्पर्श उसे जीवंत बनाता है|
दोनों एक दूसरे की दोस्त भी हैं और दुश्मन भी|
दुश्मनी इस मायने में की
लहर अपनी तीव्रता से किनारे के अस्तित्व को झकझोरना चाहती है,
और दोस्ती इस मायने में की
लहर की हर तीव्रता किनारे की खूबसूरती को चार चाँद लगाती है |
मेहमान ज्यादा देर मेजबान के यहाँ रुके तो उसकी महत्ता और प्रासंगिकता कम हो जाती है,
लहर इस बात को बखूबी जानती है
तभी तो वो साहिल को हमेशा छुके वापस चली जाती है|
दोनों को एक दूसरे की मौजूदगी अच्छी लगती है,
लेकिन वो एक दूसरे की निजता का भी सम्मान करते हैं |
Daba Do Apni Kashti Ko Kinaray Dhoondnay Walon
ReplyDeleteYeh Dariya-E-Mohabbat Hai Yahan Sahil Nahi Hota
abhi bhi dard hai balak
ReplyDeleteNahi volini laga Liya.
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