Tuesday 24 December 2013

भ्रष्टाचार के ब्रांड एंबेसडर

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भ्रष्टाचार के ब्रांड एंबेसडर
वैश्वीकरण और संचार के इस अत्याधुनिक युग में
कमोबेश हर उत्पाद
एक मुखौटे यानी ब्रांड एंबेसडर के सहारे बेचा जाता है ।
पर क्या भ्रष्टाचार का भी कोई ब्रांड एंबेसडर हो सकता है ?
आपको बड़ा अजीब लगेगा
कि मै कैसा बेतुका सवाल पूछ रहा हूँ ।
सवाल बेतुका नहीं है।
चलिये जब सवाल मैने पूछा है तो जबाब भी मैं ही दिये देता हूँ ।
हमारे महान भारत देश में भ्रष्टाचार के काई ब्रांड एंबेसडर हैं,
हर जाति और कौम के लोग इस भ्रष्टाचार रूपी ब्रांड का प्रचार करते नजर आएँगे ।
इनमें अधिकांशतः नेतागण हैं,
फेहरिस्त काफी लंबी है, इतनी कि गिनते-2 आपकी और हमारी उम्र निकल जाए पर गिनती खत्म न होगी ।
चलिय हम आपको कुछ बड़े ब्रांड एंबेसडर के नाम गिनवाते हैं,
जिनके उत्पाद धड़ल्ले से जनता के बाजार में बिकते हैं ।
मेरे कलम में इतनी स्याही नहीं है कि मै सब पर विस्तार से रोशनी डालूँ
 लेकिन, कुछ महान ब्रांडों पर स्याही तो खर्च कर ही सकता हूँ ।
ब्रांड लालू, मुलायम एंड कंपनी, मायावती, करूणानिधि (पूरा कुनबा,) जयललिता, येदुरप्पा,
सोरेन एंड कंपनी, जगन मोहन रेड्डी, अशोक चौहान, ए. राजा, कलमाड़ी,अब रहने देते हैं ।
शुरूआत करते हैं ब्रांड लालू से,
भारतीय राजनीति में इनके कुशासन और भ्रष्टाचारीय योगदान से कोई इंकार नहीं कर सकता ।
90 के दशक में गद्दीनशीनी के बाद से ये
 भ्रष्टाचार रूपी घोड़े पर ऐसे दौड़े कि फ़िर पीछ मुड़कर नहीं देखा
कोर्ट ने लगाम लगाने की जितनी कोशिश की ब्रांड लालू निखरता गया ।
अभी-अभी तीर्थ यात्रा (जेल) से लौटे हैं ।
मायावती, जब गद्दी पर बैठीं तो इसे दलित उत्थान,
महिला उत्थान, पता नहीं क्या-क्या कहा गया ।
किसका उत्थान हुआ किसी से छिपा नहीं ।
इस ब्रांड का कुनबा बड़ा नहीं पर इनके पैसे की भूख के आगे बड़े-बड़े बौने हो जाएं ।
बहुत ही धमाकेदार ब्रांड मुलायम,
सबसे बड़े लोहियावादी,
सी.बी.आई. और कोर्ट से लुकाछिपी चलती रहती है।
इनका कुनबा बहुत बड़ा है ।
भ्रष्टाचार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बहुत पहले बना ली थी ।
अभी इनकी कंपनी का शेयर हिट है ।
हो सकता है 2014 के लोकसभा चुनाव में शेयर नीचे आ जाए ।
शिबु सोरेन, गुरू जी ने नरसिम्हा राव की सरकार को बचाकर लोकतंत्र पर बड़ा अहसान किया था,
रकम बहुत मामूली ली थी लगभग एक करोड़ ।
झारखंडी कोयले में पिता पुत्रा की जोड़ी हीरे के समान चमक बिखेर रहे हैं ।
बीच-बीच में कोड़ा जी भी उछलते रहते हैं ।
जगन मोहन रेड्डी को हम छोटे पैक में बड़ा धमाल कह सकते हैं ।
स्व. राज शेखर रेड्डी की विरासत को बड़ी तेजी से प्रगति की और ले जा रहे है ।
ब्लू चिप कंपनी के शेयर हैं ।
अम्मा यानि, जय ललिता, कितने केस चल रहे हैं इन्हें भी याद न होगा । स्थायी ब्रांड हैं ।
एम. करूणानिधि एवं कंपनी, उम्र ढलान पर है इसलिए भ्रष्टाचार के किंग मेकर बन गए हैं,
पैसे को सीधे नहीं छूते, मगर बेटी, पत्नी ,2जी के माध्यम से आए तो बुरा नहीं लगता ।
येदुरप्पा जी, दक्षिण में कमल खिलाने का श्रेय मिला पर कीचड़ में हाथ गंदे कर बैठे ।
फ़िर से कमल पर सवार होने की तैयारी कर रहे हैं ।
उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बेजोड़ स्थिति है
यहा 5-5 साल के दोनों (सपा,बसपा एवं द्रमुक, अन्नाद्रमुक), ब्रांड संभालते हैं ।
जिन महान विभूतियों के नाम छूट गए हों उनसे माफी माँगता हूँ,
इसका तात्पर्य यह बिल्कुल न लगाएँ कि आपका ब्रांड कमजोर है ।
सोचता हुँ आखिर बड़े ब्रांडों का शक्ति पूँज क्या है,
कहाँ से च्यवनप्राश की तरह इनकी भीतरी शक्ति का विकास होता है ।
बोर्न बीटा की तरह एनर्जी मिलती है ।
बहुत से कारण हैं,पर सबसे बड़ा कारण है जनता जनार्दन ।
वो जनता जिसने लोकपाल बिल के लिए सरकार को शीर्षासन करा दिया,
जिसने झाड़ु की प्रासंगिकता बढ़ा दी ।
जिसने बोफोर्स मामले पर राजीव को माफ नहीं किया ।
अजबी विरोधभास है,
आखिर आम जनता जो भ्रष्टाचार से इतना पीड़ीत है,
क्यों खाने के बदले रूपया खाने वालों की थाली में अपनी भी रोटी परोस देता हैं
इस उम्मीद में कि कुछ अच्छा मिलेगा ।
क्या उन्हें ये पता नहीं कि इन ब्रांड के पास न तो जनता के लिए और नहीं ही देश के लिए कोई विजन है।
इनके पास सिर्फ अपना विजन है ।
चुनावों के वक्त इन ब्रांडों की महानता
या यूँ कहे जनता को मूर्ख बनाने की ताकत थोड़ी बहुत
इधर-उधर होती है
लेकिन ये फेवीकाल की तरह चिपके रहते हैं ।
जब-जब ऐसे लोगों को हम चुनते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप से
भ्रष्टाचार का ब्रांड महिमामंडित होता है ।
जब तक हम इन बड़े ब्रांडों को आईना नहीं दिखाएंगे
हजारों लोकपाल आ जाएँ इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे|

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