मोहब्बत
हमनें उम्मीदों के दरिया में
एकतरफा मोहब्बत की नौका उतारी,
सोचा साहिल ना सही साथ तो मिल जाएगा,
अजनबी शहर में कोई अपना कहकर बुलाएगा,
अंजाम जो हुआ वो मुझे ताउम्र सताएगा,
बिछड़ने का गम उन्हें कितना है,
ये हमे मालूम नहीं,
पर ये नादान परिंदा अब कभी ;;;;;;;;
चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से……………………
ReplyDelete……………….धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले !
Rooh Tak Nilam Ho Jati Hai Bazar-E-Ishq Main Itna Aasaan Nahi Hota Kisi Ko Apna Bana Lena.......
ReplyDeleteoye teri ki bat hai
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